लोन करने के लिए बैंक कर्मियों ने मांगी रिश्वत, दिल्ली तक हुई शिकायत
बैंक के कार्यशैली से नाराज मंडलायुक्त ने दिए जांच के आदेश
जिलाधिकारी से दस दिन में जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश करने को कहा
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता

Gonda News

गोंडा। स्वरोजगार के लिए ऋण लेने को बैंक का चक्कर काट रही आई एक महिला की शिकायत ने सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लघु एवं सूक्ष्म उद्यम योजना के अंतर्गत ऋण के लिए आवेदन करने वाली प्रीति पाठक नामक महिला ने आरोप लगाया है कि बैंक की गोंडा शाखा के कर्मचारियों ने उससे लोन मंजूरी के बदले एक लाख दस हजार रुपये की रिश्वत मांगी। मामले को गंभीरता से लेते हुए मंडलायुक्त देवीपाटन शशि भूषण लाल सुशील ने जिलाधिकारी गोंडा को जांच के निर्देश दिए हैं, और 10 दिन के भीतर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रीति पाठक ने स्वयं को पूर्णतया बेरोजगार बताते हुए क्लाउड किचन व्यवसाय के लिए पांच लाख रुपये ऋण हेतु आवेदन किया था। महिला का आरोप है कि बैंक की एक महिला कर्मचारी ने पहले फोन पर संपर्क किया और फिर क्लब के पास बुलाकर एक अजनबी व्यक्ति के माध्यम से 10 हजार रुपये ‘फाइल चार्ज’ व लोन पास कराने के बाद कुल एक लाख रुपये कमीशन की मांग की। जब प्रार्थिनी ने रसीद की मांग की तो मना कर दिया गया।
पीड़िता प्रीति पाठक ने बताया कि जब उसने पैसे देने से इनकार किया तो बैंक कर्मियों ने उसकी फाइल में बार-बार बेवजह की कमियाँ निकालनी शुरू कर दीं। फाइल तैयार कराने में उसने लगभग पाँच हजार रुपये खर्च कर दिए, बावजूद इसके उसका ऋण आवेदन यह कहकर निरस्त कर दिया गया कि फाइल अधूरी है। इतना ही नहीं, बैंक के एक अन्य अधिकारी पर भी सुविधा शुल्क मांगने का आरोप लगाया है। मामले की गम्भीरता को देखते हुए प्रीति पाठक ने पूरे घटनाक्रम की लिखित शिकायत सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विकास संगठन, नई दिल्ली को भेजी थी। वहां से शिकायत मंडलायुक्त देवीपाटन मंडल को प्रेषित की गई, जिसके आधार पर मंडलायुक्त ने जिलाधिकारी को पत्र भेजते हुए मामले की सम्यक जांच कराकर कार्यवाही सुनिश्चित करने को कहा है।

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