महिला सशक्तिकरण का मिसाल बनेगा हर घर तिरंगा अभियान
**महिला सशक्तिकरण की दिशा में DM Neha Sharma का एक और कदम
स्वयं सहायता समूहों ने संभाला तिरंगा बनाने का कार्य**
समूह की दीदियां तैयार कर रहीं तिरंगा
13 अगस्त से 15 अगस्त तक शान से हर घर फहरेगा तिरंगा
सरकारी भवन, निजी प्रतिष्ठानों पर भी मनेगा उत्सव
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता

Gonda News

राष्ट्रीय शहरी और ग्रामीण आजीविका मिशन (NULM और NRLM) के तहत गठित महिला स्वयं सहायता समूहों को एक अनूठा अवसर मिला है। उन्हें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जिले भर में फहराए जाने वाले तिरंगों को बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन समूहों को 3.5 लाख तिरंगे तैयार करने का लक्ष्य दिया गया है, जो महिलाओं के लिए रोजगार का एक महत्वपूर्ण स्रोत साबित हो रहा है।

जिले में 178 समूहों की 450 महिलाएं इस कार्य में जुटी हैं, और यह काम डीएम नेहा शर्मा की अगुवाई में हो रहा है। उनके प्रयासों का नतीजा है कि शहरों से लेकर गांवों तक इन महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त होने का अवसर मिल रहा है।

महिलाओं के चेहरों पर तिरंगा बनाने का गौरव और आत्मनिर्भरता की खुशी साफ झलकती है। यह काम सिर्फ रोजगार का साधन नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति सम्मान और गर्व का प्रतीक भी बन गया है।

इस पहल से न सिर्फ महिलाओं को अपने परिवारों के लिए आय का स्रोत मिला है, बल्कि ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करते हुए उन्हें देश सेवा का अवसर भी प्राप्त हुआ है। इन तिरंगों को जिले भर के सरकारी और निजी प्रतिष्ठानों में फहराया जाएगा, जो महिला सशक्तिकरण की इस पहल को और भी विशेष बनाता है।

**हर घर तिरंगा अभियान: स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को मिला रोजगार, जिले में बनाए जा रहे 3.49 लाख तिरंगे**

गोण्डा। प्रदेश सरकार ने राष्ट्रप्रेम की भावना को जागृत करने के लिए इस वर्ष भी “हर घर तिरंगा” अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत जिले में 3 लाख 49 हजार 445 तिरंगे तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। इस महत्वपूर्ण कार्य में 178 स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 450 महिलाएं सक्रिय रूप से झंडा निर्माण में जुटी हुई हैं।

मुख्य विकास अधिकारी एम. अरून्मोली ने बताया कि इस अभियान के लिए जनपद को ब्लॉकवार लक्ष्य बांटा गया है और अब तक वे निर्माण लक्ष्य के करीब जा पहुची है। इस पहल से समूहों की महिलाओं को रोजगार के अवसर भी मिले हैं।

पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस का उत्सव इस बार गौरव के साथ 13 अगस्त से तीन दिन 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस तक मनाया जा रहा है जिसमें पुलिस प्रशासन ने तैयारियों को पूरा कर लिया है। हर घर तिरंगा शान से फहराया जाएगा। जिसको लेकर उल्लास और उत्साह है।

हर घर तिरंगा समिति के नोडल अफसर डीसी एनआरएलएम जेएन राव ने कहा कि महिलाओं ने तिरंगे के निर्माण के लिए विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया है और वे मानक व गुणवत्ता का पालन करते हुए झंडों को तैयार कर रही हैं। इन झंडों की आपूर्ति का कार्य राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के अंतर्गत किया जा रहा है। समूह की महिलाएं स्थानीय सामग्री और कारीगरी का उपयोग करके तिरंगे बना रही हैं, जिससे न केवल राष्ट्रप्रेम को बल मिल रहा है बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का भी अवसर मिल रहा है।

 

 

झण्डा फहराने के नियम

1- प्रत्येक नागरिक को अपने आवास/स्कूल तथा सरकारी कार्यालयों में झण्डा सम्मान के साथ झण्डा संहिता का अनुपालन करते हुए फहराना/लगाना है।

2- झण्डा फहराते समय सदैव केसरिया रंग की पट्टी झण्डे के ऊपर की तरफ होनी चाहिए।

3- झण्डे को यदि सरकारी परिसर में फहराया जाता है तो सूर्योदय के उपरान्त ध्वजारोहण किया जाना चाहिये तथा सूर्यास्त के साथ ही सम्मान के साथ इसे उतारना चाहिए।

4- दिनांक 13 से 15 अगस्त, 2024 तक निजी आवासों एवं प्रतिष्ठानों पर लगाये जाने वाले झण्डों को उक्त समयावधि के उपरान्त आदर भाव के साथ उतार कर सुरक्षित रखा जायेगा।

5- झण्डा उतारने के बाद किसी भी नागरिक के द्वारा इसे फेंका नहीं जायेगा। उसे सम्मान के साथ फोल्ड करके रखा जाना चाहिए।
6- विशेष परिस्थितियों में झण्डा रात्रि में फहराया जा सकता है।

7- हर घर पर झण्डा विधिवत् तरीके से लगाया जाना चाहिए। आधा झुका, फटा या कटा झण्डा लगाया जाना निषेध होगा।

झण्डा तैयार करने हेतु निर्देश

1- झण्डे का आकार आयताकार होना चाहिए।

2- इसकी लम्बाई एवं चौड़ाई का अनुपात 3:2 होना चाहिए। उदाहरणार्थ, यदि झण्डे की लम्बाई 3 फीट हो तो चौड़ाई 2 फीट होनी चाहिए।

3- झण्डा बनाने की सामग्री खादी अथवा हाय से कता हुआ बना हुआ कपड़ा/मशीन से बना हुआ कपड़ा/सूती/पॉलीस्टर/ऊनी/सिल्क आदि हो सकती है।

4- झण्डे तीन रंगों में सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद तथा नीचे हरे रंग का प्रयोग कर बनाये जायेंगे।

5- सफेद पट्टी में 24 तीलियों वालें अशोक चक्र को बाद में प्रिन्ट किया जाना चाहिए।

 

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