31 जुलाई के बाद नहीं बची नौकरी, फिर भी काम करना है मजबूरी
बाल विकास विभाग के संविदा सीडीपीओ, मुख्य सेविका और लिपिकों को नहीं मिला सेवा विस्तार, फिर से शुरू हुआ इंतजार
प्रदीप मिश्रा, प्रमुख संवाददाता
Gonda News
गोंडा। बाल विकास विभाग में कार्यरत संविदा सीडीपीओ, मुख्य सेविका और लिपिकों का सेवा विस्तार एक बार फिर अधर में लटक गया है। 31 जुलाई 2025 को सेवा अवधि खत्म होने के बाद अब इन कर्मियों को आदेश का इंतजार है। छह महीने पहले भी इन कार्मिकों को लगभग डेढ़ साल तक सेवा विस्तार नहीं मिला था। उस दौरान बिना वेतन नौकरी करने की कठिनाई झेलने के बाद ही उन्हें राहत मिल सकी थी।
सूत्रों के मुताबिक, ब्लॉक परियोजनाओं पर तैनात इन कर्मचारियों की सेवा अवधि हर बार आदेश में देरी से प्रभावित होती है। हाल ही में सेवा विस्तार की प्रक्रिया फिर से अटक गई है। कर्मचारियों का कहना है कि आदेश आने तक वे “बिना नौकरी के भी नौकरी करने वाले” की स्थिति में रहते हैं।
इसके पहले भी जांच के पेंच में फंसकर इन कर्मियों का भविष्य अधर में लटका रहा था। प्रारंभिक जांच में पाया गया था कि निदेशालय से सीडीपीओ की नियुक्ति से जुड़े अभिलेख गायब थे। करीब बीस साल पहले हुई तैनाती के कागजात नहीं मिलने से सेवा विस्तार की फाइल अटक गई थी।
निदेशालय ने वर्ष 2023 में आदेश जारी किया था कि आयोग से स्थाई सीडीपीओ की तैनाती होने पर संविदा पद स्वतः समाप्त हो जाएंगे। इसी आदेश के बाद जब सेवा विस्तार रुका था तो विभाग में हाहाकार मच गया था। अब दोबारा आदेश में देरी से कर्मचारी असमंजस में हैं।
कर्मचारियों का कहना है कि विभाग में एक ही तरह के कार्य करने वाले स्थाई और संविदा कार्मिकों के लिए दोहरे मापदंड अपनाए जाते हैं। स्थाई कर्मचारियों को समय से वेतन और सेवा सुरक्षा मिलती है जबकि संविदा कर्मचारी आदेशों की देरी और अनिश्चितता की मार झेलते रहते हैं।



